Wednesday 6 January 2010

चोर की दाढ़ी में तिनका

 जीडीपी बढ़ने के आंकड़ों को विश्वसनीय बनाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर उनके हमदर्द अखबार और पत्रकार तक झूठ का सहारा आखिर क्यों ले रहे हैं ? क्या इससे चोर की दाढ़ी में तिनका वाली कहावत सही नहीं साबित होती ?

हाल में एक आंकड़ा आया है। पिछले पांच साल (2004-09) के दौरान बिहार के सकल घरेलु उत्पाद (जीडीपी) में सालाना औसतन 11. 03 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जीडीपी के मामले में बिहार उछल कर देश भर में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। इसके उपर सिर्फ गुजरात है, जहां का जीडीपी 11.06 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। रविवार को इससे जुड़ी खबर और स्वामीनाथन एस अंकलेसरिया अय्यर का लेख टाइम्स आफ इंडिया में छपने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बांछें खिल गई है। साथ ही उनके हमदर्द अखबारों और पत्रकारों को मानों मांगी मुराद मिल गई है। बिहार में फील गुड को एक नया आयाम मिल गया है।

लेकिन ‘जश्न’ के इस माहौल में कई बेतुकी बातें भी बहुत गर्व के साथ परोसी जा रही है। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) के द्वारा जारी इस आंकड़े को विश्वसनीयता प्रदान करने की हिमायत में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक स्वतंत्र एजेंसी की रिपोर्ट है और मशहूर अर्थशास्त्री स्वामीनाथन एस अंकलेसरिया अय्यर ने इस पर एक लेख लिखा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि क्या अय्यर और अमत्र्य सेन जैसे लोगों से कुछ भी लिखवा लिया जा सकता है। उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने भी हमारी उपलब्धियों को स्वीकारा है।

इसी तरह एक राष्ट्रीय दैनिक के संपादकीय में छपा कि ‘‘ यह आंकड़ा बिहार राज्य सरकार की किसी संस्था की तरफ से नहीं तैयार किया गया है, बल्कि यह केंद्रीय सांख्यिकी संगठन का आंकलन है। इसलिए इस पर राज्य सरकार के आत्म प्रचार की कोई छाया नहीं है।’’ इसी बात को उसी अखबार में छपे एक लेख में भी दुहराया गया है।
लेकिन यह दावा करने वालों को सचाई का पता ही नहीं है। सचाई यह है कि सीएसओ राज्य के विकास दर का कोई आंकड़ा न तो तैयार करता है और ना ही उसका विश्लेषण करता है। वह सिर्फ विभिन्न राज्य सरकारों के द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों को एक साथ जारी कर देता है।
इस संबंध में भारत सरकार के मुख्य सांख्यिकीविद् और केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव प्रणब सेन का कहना है कि ‘‘ सीएसओ राज्यों के जीडीपी का डाटा नहीं उपलब्ध कराता है। सीएसओ और राज्यों के बीच एक व्यवस्था बनी हुई है जिसके तहत राज्य सरकारें खुद अपने जीडीपी का अनुमानित डाटा सीएसओ को देती हैं और सीएसओ उसे जारी करता है। इन डाटा को सीएसओ सत्यापित नहीं करता है। इसलिए इसे सीएसओ का डाटा कहना उचित नहीं है। ’’
सेन के बयान को हम छोड़ भी दें और अगर भारत सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम मंत्रालय की साइट पर जाकर देखें, जहां से इस डाटा को जारी किया गया है, तो राज्यवार डाटा के नीचे स्पष्ट तौर पर स्रोत अंकित है। इसमें लिखा हुआ है कि राज्यों के आंकड़े संबंधित राज्य के वित्त एवं सांख्यिकी निदेशालय के हैं जबकि भारत सरकार के आंकड़े सीएसओ के हैं।
 अब इसे क्या माने जाए ? कारपोरेट एक्सलेंस का अवार्ड जीतने वाले हमारे मुख्यमंत्री को इतनी छोटी सी जानकारी नहीं है या फिर वे जानबूझ कर जनता को भ्रमित कर रहे हैं? और फिर चैथे खंभे का काम सिर्फ दुम सहलाना ही रह गया है क्या? जिन्हें खुद चीजों की जानकारी नहीं, उनसे आप जानकारी पाने की उम्मीद कैसे कर सकेंगे।



1 comment:

Anonymous said...

jis tarah NDA ki sarkar mein 'feel good' or India Shining ka nara lagaya gaya tha thik whi kam bihar mein Nitish Kumar kar rahen hain. aur media wale advertisment ke lobh me inka gungan kar rahe hain. sach to yah hai ki abhi Bhi bihar se bahar jane wali train bhari rahati hai. pade likhe berojgaro ko naukari nahi di gayi. jo diya bhi gya hai uska shoshan kiya ja raha hai. iska jwalant udaharan hai teacher ki bharti. kul mila ke bihar ki sthiti thodi badali hai lekin ise kafi badha-chadha ke dikhaya ja raha hai.